
लालटिनो शिशो
रचनाकार: राजू पाण्डेय
रज्जू! वो रजवा!
अन्ध्यारो है ग, घर ना उने आज।
उछ्छे कि ऊ साकडी लै बैर...
अक्सर हर रोज सौंज पड़नै आमा कि धधधाद शुरू है जानन्या भै।
आगहु आमा आगहु।
भीतर जान है पैले हाथ खुटा धवैना जरूरी भ्या, दी बत्ती टैम भयो त आमा बठै सबै भै-बैनी बैठी शुरू है जांन्या भ्या..
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे
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आरती हुना बाद पढ़ायी लिखाई लै जरूरी भै। आमा लमफू बत्ती थोड़ा तेज कर दिनया भै, अगर हम आफी थोड़ा बाकी कर दिनया भ्या त तुरन्त आमा बोली जांन्या भै "बाकी तै बत्ती कि भौ-भौ न कर, मट्टी तेल कहा आलौ तति"।
लमफू का उज्याला में पढ़ाई करन वक्त मूषो नाक मुख में ठुसी जांन्या भयो और एक बठै चुलोनो ध्वो आँखा पन पनसी जान्यो भयो। चुलोनो ध्वो को त के समाधान ना भयो केसे पानी छिड़की बैर आमा ध्वो भजुन्या भै, होली छुट्टी में घर उन वक्त बाबा एक लालटेन ली आया भया, आब नौक मुख में धौं जानो रूकी गयो।
नया नया शौक भयो, सौंज पड़ना रोज लालटिनो शीशो साफ करनाय भ्या, आमा रोज कुन्न्या भै, ढंगलै करै ला साफ, हाथ लै बचाये और शिशो लै। एक दिन शिशो ज्यादा कालो है रोछ्यो त साफ करन खन हाथ मे साबुन लगायो त साबुनै लै शिशो फिसली गयो, छनन भै और शीशा का टुकड़ा टुकड़ा। आमा कि डांट पड़ो उहै पैले रुनो शुरू करि दी।
आब नयो शिशो कहा ओ... अगला दिन बाबा खन चिट्टी लेखी गै
पूज्य पिताजी,
प्रणाम।
सब नन्तिना तरफ बठै प्रणाम और आमा की तरफ बठै आशीर्वाद।
यों हम सब ठीक ठाक छुं, तुम लै ड्यूटी में ठीक ठाक होला, गौ घर मे सब ठीक छन। धौंन ब्वै हालयान, आज ईजा मंजू मौका यों धान गौड़नाका पडम जे रैछि।
मेरा पुत गलती लै लालटेनों शिशो टुटी ग, उम्मीद करछु की तुम रिष ना कर, अगल साल छुट्टी उन वक्त शिशो ली आया।
आपका बेटा,
राजू पाण्डेय
बगोटी - चंपावत
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~राजू पाण्डेय, 12-08-2021

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2 टिप्पणियाँ
बढ़िया राजू दा
जवाब देंहटाएंउछ्छे कि ऊ साकडी लै बैर is line ka matalab bta dijiye. Shukriya
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